Day 7 of Navratri –नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा का महत्व, स्वरूप, कथा और उपासना विधि जानें। माँ कालरात्रि भय और अंधकार का नाश कर भक्तों को साहस, शक्ति और मोक्ष का आशीर्वाद देती हैं।
माँ कालरात्रि का स्वरूप
Day 7 of Navratri -माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति माँ कालरात्रि की उपासना की जाती है। माँ कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयंकर और विकराल है, किंतु वे अपने भक्तों को सदैव कल्याण और सुरक्षा प्रदान करती हैं। उनका नाम ‘कालरात्रि’ इस कारण पड़ा क्योंकि वे अज्ञान, अधर्म और नकारात्मकता के अंधकार का नाश करती हैं। माँ कालरात्रि का वर्ण श्याम है, बाल बिखरे हुए रहते हैं और उनके शरीर से अग्नि की ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। उनके गले में मुण्डमाला शोभा पाती है और वे गधे पर सवारी करती हैं। उनके चार हाथ हैं—दो हाथों में वे वज्र और खड्ग धारण करती हैं, जबकि शेष दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में रहते हैं।
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माँ कालरात्रि की विशेषता
Day 7 of Navratri -माँ कालरात्रि को नवरात्रि की सबसे भयावह और शक्तिशाली देवी माना जाता है। परंतु उनके इस विकराल रूप के पीछे छिपा है अत्यंत शुभ और मंगलकारी स्वभाव। इसलिए उन्हें ‘शुभंकारी’ भी कहा जाता है। वे अपने भक्तों के सभी भय, कष्ट और दुश्मनों का नाश करती हैं। माँ कालरात्रि की उपासना से शनि ग्रह के दोष भी शांत होते हैं और जीवन में शांति आती है। Navratri – Wikipedia
पूजा का महत्व
Day 7 of Navratri -माँ कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों का जीवन निडर हो जाता है। उन्हें असुर, भूत-प्रेत, जादू-टोना, बाधाएँ और संकट छू तक नहीं सकते। भक्तों की साधना माँ के चरणों तक पहुँचती है और वे आध्यात्मिक जागृति प्राप्त करते हैं। सातवें दिन की साधना से साधक के सहस्रार चक्र का द्वार खुलता है, जिससे ज्ञान और शक्ति दोनों प्राप्त होते हैं।
पूजा विधि
सातवें दिन प्रातः स्नानादि के बाद संकल्प लेकर माँ कालरात्रि की पूजा प्रारंभ की जाती है। पहले कलश पूजन, गणेश पूजन और नवग्रह पूजन होता है। इसके बाद देवी को लाल या नीले फूल, गुड़, तिल, और रात में खिलने वाले फूल अर्पित किए जाते हैं। धूप-दीप जलाकर “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः” मंत्र का जाप किया जाता है। भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और शाम के समय आरती करके प्रसाद का वितरण करते हैं।
माँ कालरात्रि की कृपा से मिलने वाले फल
Day 7 of Navratri -माँ कालरात्रि की पूजा से जीवन में आने वाली बाधाएँ और दु:ख दूर होते हैं। भक्त को साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। वे शत्रुओं पर विजय पाते हैं और अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। भक्त का मन सात्विक और निर्मल बनता है और उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थ प्राप्त होते हैं। विशेष रूप से शनि से पीड़ित लोगों के लिए यह दिन अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
पौराणिक कथा
Day 7 of Navratri -एक कथा के अनुसार, राक्षसों के अत्याचारों से जब पृथ्वी पर हाहाकार मच गया, तब देवी ने कालरात्रि का रूप धारण किया और दैत्यों का संहार किया। वे रात्रि के समान घोर अंधकारमयी थीं और उनकी गर्जना से पृथ्वी काँप उठी थी। इस रूप को देखकर देवता और ऋषि भी भयभीत हो गए, किंतु माँ ने उन्हें आश्वासन दिया कि यह रूप केवल दुष्टों के विनाश के लिए है। भक्तों के लिए वे सदा मंगलकारी और दयालु हैं।
आध्यात्मिक महत्व
Day 7 of Navratri -माँ कालरात्रि की उपासना से साधक के भीतर छिपा भय और अज्ञान समाप्त हो जाता है। साधना करने वाला व्यक्ति सांसारिक बंधनों से ऊपर उठकर ईश्वर से एकाकार होने की राह पर बढ़ता है। यह दिन आत्मशक्ति और साधना की प्रगति के लिए अत्यंत विशेष माना जाता है।
माँ कालरात्रि का संदेश
Day 7 of Navratri -माँ कालरात्रि का रूप यह दर्शाता है कि जीवन में जब अंधकार, भय और कठिनाई अपने चरम पर हो, तभी सच्चे साहस और भक्ति की शक्ति से उसका अंत संभव है। उनका काला स्वरूप हमें यह शिक्षा देता है कि हर व्यक्ति के जीवन में अज्ञान और नकारात्मकता का अंधकार होता है, जिसे दूर करने के लिए आत्मविश्वास और दिव्य शक्ति की आवश्यकता होती है।
माँ कालरात्रि साधक को यह आशीर्वाद देती हैं कि वह अपने भीतर की दुर्बलता, आलस्य और नकारात्मक विचारों को समाप्त करे और अपने जीवन को सच्चाई, परिश्रम और ईश्वर की भक्ति से आलोकित करे। जो व्यक्ति माँ कालरात्रि की पूजा करता है, उसके अंदर एक अद्भुत ऊर्जा का संचार होता है। यह ऊर्जा उसे न केवल सांसारिक जीवन में सफलता दिलाती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर भी अग्रसर करती है।
नवरात्रि के सातवें दिन की साधना यह प्रेरणा देती है कि हर अंधकारमय समय के बाद प्रकाश अवश्य आता है। यदि हम श्रद्धा और विश्वास से माँ कालरात्रि का स्मरण करें, तो वे हमें भयमुक्त जीवन और आत्मबल प्रदान करती हैं।
निष्कर्ष
Day 7 of Navratri माँ कालरात्रि को समर्पित है। उनका विकराल रूप हमें यह संदेश देता है कि अज्ञान और बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः सत्य और भक्ति की शक्ति से उसका विनाश निश्चित है। माँ कालरात्रि अपने भक्तों को भयमुक्त करती हैं और उन्हें जीवन की हर कठिनाई से पार पाने का सामर्थ्य देती हैं। इसीलिए उन्हें शुभंकारी कहा जाता है।